राहु ग्रह शांति पूजा
पूजा की संपूर्ण जानकारी और विधि
राहु शांति पूजा के लाभ
- काला जादू, तंत्र, टोना, आदि का प्रभाव कम हो जाता है।
- जीवन में अचानक घटित होने वाली परेशानियों से निजात मिलती है।
- राहु शांति पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है।
- घर परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और कामकाज में भी अच्छा धन-लाभ होता है।
- मानसिक शांति मिलती है, शत्रुओं से बचाव होता है, साथ ही भय भी दूर हो जाता है।
राहु ग्रह की पूजा में सर्वोपरि है वैदिक मंत्र
राहु ग्रह की पूजा वैदिक मंत्रों के साथ पारंपरिक 18000 हजार मंत्रों का जप करने के साथ षोडशोपचार चरणों के साथ की जाती है। पूजा में “होमा” (हवन) अनुष्ठान भी शामिल है। जिसमें घी, तिल, जौ और भगवान सूर्य से संबंधित अन्य पवित्र सामग्री व सूर्यादि संख्याओं के मंत्र का पाठ करते हुए, अग्नि को अर्पित की जाएगी। जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए यज्ञ एक महत्वपूर्ण उपाय है। अधिकतम सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए, वैदिक पूजा सबसे अच्छे मुहूर्त के अनुसार ही करनी चाहिए ।
राहु ग्रह शांति पूजन का महत्व
राहु ग्रह शांति पूजा व अनुष्ठान को कराने से, जातक के सभी महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं। इस पूजा के प्रभाव से उनके जितने भी रुके हुए काम है, वो पूरे हो जाते हैं। शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं। राहु का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है तथा व्यक्ति के आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
राहु ग्रह शांति पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
- पूजा के दौरान या पूजा के दिन, जातक को केवल और केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
- तामसिक खान-पान से दूरी बना कर रखें।
- सम्भोग इत्यादि क्रियाओं से परहेज करें।
- इस दिन अपने घर के मंदिर में, घी का एक दीपक अवश्य जलाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. राहु ग्रह से जुड़ी धार्मिक कथा क्या है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय स्वरभानु नामक एक असुर ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थी। जिसे सूर्य देव और चंद्र देव ने पहचान लिया और मोहिनी अवतार में भगवान विष्णु को इस छल के बारे में सूचित किया। स्वरभानु इससे पहले की अमृत को अपने गले से निगल पाता, वहां उपस्थित भगवान विष्णु ने उसका गला अपने सुदर्शन चक्र से काट कर उसके धड़ से अलग कर दिया। परंतु तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। इसी सिर ने राहु और धड़ ने केतु ग्रह का रूप लिया, जिसका सूर्य- चंद्रमा से इसी कारण शत्रुता रहती है। इसी द्वेष के चलते छाया ग्रह सूर्य और चंद्र को ग्रहण लगाने का प्रयास करते हैं।
Q2. राहु ग्रह शांति पूजा से क्या लाभ मिलता है?
इस पूजा को करने से जन्म कुंडली में मौजूद राहु दोष के हानिकारक प्रभाव से जातक को छुटकारा तो मिलता ही है। साथ ही जातक के जीवन में आ रही सभी बाधाओं का अंत भी होता है।
Q3. क्या राहु ग्रह शांति पूजा में मेरी शारीरिक उपस्थिति की आवश्यकता होगी ?
नहीं, इस पूजा अनुष्ठान की यह सबसे अनोखी सुंदरता यह है कि इसके अनुष्ठान के दौरान आप शारीरिक रूप से अन उपस्थित होते हुए भी, इस पूजा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
Q4. राहु ग्रह शांति पूजन का कुल समय कितना होता है ?
आमतौर पर इस पूजा को करने में लगभग 5 से 6 घंटे लगते हैं।
Q5. राहु ग्रह शांति पूजन का समय कैसे निर्धारित किया जाता है ?
पूजा का समय जातक की जन्म कुंडली अनुसार, शुभ मुहूर्त देखकर तय किया जाएगा।
Q6. इस पूजन को कराने लिए क्या-क्या जानकारी होना अनिवार्य होता है ?
इस पूजन को कराने के लिए, पुरोहित जी यजमान से पूजा से पहले से कुछ जानकारी लेते हैं। जो इस प्रकार है:-
- पूरा नाम
- गोत्र
- वर्तमान शहर सहित राज्य, देश, आदि।
- पूजा करने का उद्देश्य – आप पूजा क्यों कर रहे हैं?
Q7. राहु ग्रह शांति पूजा कैसे होगी?
राहु ग्रह शांति पूजा हेतु, किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से सहायता लेते हुए online पूजा का विवरण पूजा कराने वाले यजमान (जातक) को दिया जाएगा और आपकी पूजा को एक विशेष पंडित जी को सौंपा जाएगा और उसका शुभ निर्धारित समय जातक को दिया जाएगा। नामित पंडित जी एक समय में केवल एक पूजा करेंगे। पूजा से पहले पंडित जी या आचार्य जी आपके व आपके परिवार का विवरण प्राप्त करेंगे और उसके बाद ही संकल्प या पूजा के लिए उद्देश्य के साथ पूजा की शुरुआत करेंगे। पूजा शुरू होने से ठीक पहले, आपको एक कॉल लगाया जाएगा ताकि पंडित जी आपको अपने साथ संकल्प पाठ में शामिल कर सकें। यह पूजा की शुरुआत का प्रतीक है।
Q8. राहु ग्रह शांति पूजन की समाप्ति पर क्या होगा ?
पूजा के अंत में, पंडित जी आपको पूजा के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए पुनः फ़ोन के जरिए शामिल करेंगे। इस प्रक्रिया को “श्रेया दाना” या “संकल्प पूर्ति” के रूप में जाना जाता है। यह पूजा के अंत का प्रतीक है।
Q9. ऑनलाइन राहु ग्रह शांति पूजा से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए ?
जब पंडित जी पूजा अनुष्ठान कर रहे हो तो, आप “ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहुवे नम:॥” मंत्र का निरंतर जाप कर इस पूजा से उत्तम फल प्राप्त कर सकते हैं।
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